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Tuesday, March 22, 2022

“प्रतिदान”




“महीप आप भगत सिंह सर्किल तक छोड़ देना प्लीज…,मैं

आदि को स्कूल छोड़ते हुए ऑफिस निकल जाऊँगी ।” - रश्मि 

ने आदि की टाई की नॉट ठीक करते हुए कहा ।

“मैं नहीं जाऊँगा स्कूल..,” जिद्द करते हुए आदि ठुनक रहा था।

“ऋतु जल्दी करो देर हो जाएगी..,संभालो न इसे । आदि क्या 

हुआ तुम्हें ।” - अपना बैग ठीक करते हुए महीप बोले ।

“बेटे क्या हुआ ? जिद्द मत करो अब की वीकेंड पर तुम्हारी फ़ेवरेट जगह चलेंगे ।”- ऋतु ने मनुहार की।

- “मम्मी वो स्कूल के एक पेड़ में भूत रहता है।लंच में बड़े भईया 

और दीदी लोग हमें बता रहे थे जब हम उधर खेलने गए ।”

            ऋतु बेटे की तरफ मुड़ी और प्यार से समझाते हुए 

बोली  -  “तू तो मेरा बहादुर बच्चा है..ये सीनियर्स शैतान होते 

हैं जो यूं ही तंग करते और डराते हैं ।मेरा शेर बच्चा कोई 

डरता थोड़े ही है ।” ऋतु अपने और आदि के बैग और बॉटल

उठाए उसके साथ बाहर निकली , तब तक महीप गाड़ी स्टार्ट 

कर चुके थे ।

              सर्किल पर गाड़ी से उतर कर जैसे ही माँ - बेटे स्कूल 

की तरफ बढ़ ही रहे थे कि सामने से आते साँड को भागते देख 

कर घबराहट और अफ़रातफ़री ऋतु के हाथ से  आदि का हाथ 

छूट गया । दौड़ती ऋतु ने आदि को स्कूल  के गेट की तरफ भागते देखा जो बच्चों और पेरेंटस की भीड़ में घुस चुका था मगर डर 

और घबराहट से उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ रही थी ।

स्कूल बैग और वॉटर बॉटल आदि को पकड़ा कर ऋतु जैसे 

ही मुड़ी, आदि ने माँ का दुपट्टा खींचा । अब की बार ज्ञान लेने 

की बारी ऋतु की थी आदि बड़ों की तरह  उसे समझा रहा था - 

“ आप यूं डरा मत किया करो ! बहादुर बच्चे की मम्मी हो ,मेरी शेरनी मम्मी !”


                                   🍁🍁🍁


27 comments:

  1. बहुत शानदार लघुकथा मीना जी..वाह

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अलकनंदा जी !

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  2. बहुत ही सुंदर ताना-बाना गुंथा है लघुकथा में माँ बेटे का।
    प्रतिदान.. वाह!
    बहुत ही बढ़िया लघुकथा।
    सादर

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  3. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनीता जी !

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 24 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. "पांच लिंकों का आनन्द" में सृजन को साझा करने के लिए सादर आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी ।

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  5. बहुत4बढ़िया मीना जी।बच्चों को समझाना आसान है पर हम बड़े ही कई बार बचकानापन दिखाकर खुद को छोटा कर लेते4हैं।सार्थक लधु कथा के लिए बधाई 🙏❤

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    1. आपकी स्नेहिल उपस्थिति से हर्षित हूँ प्रिय रेणु जी । बहुत बहुत आभार 🙏❤️🌹

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  6. वाह ! बच्चों को वीरता के पाठ इसलिए तो पढ़ाए जाते हैं ताकि वे समय आने पर अपने साथ सबकी रक्षा कर सकें

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    1. सारगर्भित सराहनात्मक प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार अनीता जी ।

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  7. वाह!बहुत ही सुंदर सृजन मीना जी । बच्चों को कम मत समझिए ..सीख दे ही गए न ।

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शुभा जी ।

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  8. कई बार हम जो बच्चों को सिखलाते है उसे ऐसी परिस्थिति आने पर खुद भुल जाते हैं और तब बच्चों हमें ज्ञान दे जाते हैं। "प्रतिदान" बहुत ही सुन्दर शीर्षक और सीख देती लघुकथा। सादर नमस्कार मीना जी 🙏

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी ! सस्नेह सादर नमस्कार 🙏

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  9. बच्चों के मन में जो बीज बोए जाते हैं वो फल के रूप में सामने आते हैं । बेहतरीन लघुकथा ।

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार मैम 🙏🙏

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  10. वाह! बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्र।

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आपका 🙏

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  11. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार लोकेष्णा जी!

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  12. बाल मनोभाव का सटीक चित्रण ।

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार जिज्ञासा जी !

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  13. सुन्दर लघु कथा

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार
      अनुज !

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  14. वाह!!!
    आखिर बच्चे को दी सीख माँ को प्रतिदान में मिली..
    बहुत ही सार्थक सृजन।

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार सुधा जी !

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