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Friday, March 3, 2023

“बीस साल बाद”


                               ( Click by me )

 धीरे-धीरे गोधूली  के धुँधलके से ढकता आसमान और  प्रदूषण रहित हवाओं में हल्की सी ठंडक । उदयपुर की धरती पर कदम रखते ही गुजरे वक़्त ने मानो दौड़ कर उन्हें अपनी बाहों में समेट कर स्वागत किया ।

         कुनकुनी सी ठंडक के स्नेहिल स्पर्श और अपनेपन की सौंधी 

महक में डूबे तीन सहयात्री न जाने मन की  कौन-कौन सी वीथियों के कोने स्पर्श करने मे मगन थे कि मौन की तन्द्रा भंग करते हुए एक ने दूसरे से कहा- “ चलो तुम्हारा अपने आप से किया वादा पूरा हुआ यहाँ अपना एक साथ आने का । जब भी पुराना एलबम खुलता है.., तुम्हारी ढलते सूरज की फोटो के साथ यहाँ मेरे साथ आने की बात ज़रूर चलती है ।” 

       “तुम्हें पता है बरसों से चली आ रही हर बार की यही कहानी थी हमारी ।”तीसरे साथी को वार्तालाप में सम्मिलित करते हुए पहला साथी बोला ।”  

                 “मुझे क्रेडिट मिलना चाहिए प्लान मेरा था। बहुत बार इस अधूरे वादे के बारे में तुम दोनों से सुना, सोचा तुमसे तो पूरा होने से रहा 

मैं ही तुम दोनों का पेंडिग काम पूरा कर दूँ ।” - मुस्कुराट के साथ बोलते समय उसकी नज़रें अभी भी खिड़की के बाहर भागते पेड़ों और इमारतों 

पर टिकी थी ।

          “हाँ भई हाँ !! बात तो सही है तुम बिन हम भाग ही तो रहे थे जीवन में। जीने की कला बस सीख रहे हैं तुमसे !” दूसरे साथी ने हँसते हुए कहा ।

      हल्की-फुल्की बातों का सिलसिला गाड़ी के रूकने और “घणी खम्मा” के अभिवादन के साथ रूक गया ।

        गंतव्य आ गया था लेक “पिछोला” से दूर अरावली श्रृंखला की पहाड़ियों के पीछे छिपता सूरज आज भी हुबहू वैसा ही था जैसा 

बीस साल पहले था । 


                                     ***