Followers

Copyright

Copyright © 2023 "आहान"(https://aahan29.blogspot.com) .All rights reserved.

Friday, March 3, 2023

“बीस साल बाद”


                               ( Click by me )

 धीरे-धीरे गोधूली  के धुँधलके से ढकता आसमान और  प्रदूषण रहित हवाओं में हल्की सी ठंडक । उदयपुर की धरती पर कदम रखते ही गुजरे वक़्त ने मानो दौड़ कर उन्हें अपनी बाहों में समेट कर स्वागत किया ।

         कुनकुनी सी ठंडक के स्नेहिल स्पर्श और अपनेपन की सौंधी 

महक में डूबे तीन सहयात्री न जाने मन की  कौन-कौन सी वीथियों के कोने स्पर्श करने मे मगन थे कि मौन की तन्द्रा भंग करते हुए एक ने दूसरे से कहा- “ चलो तुम्हारा अपने आप से किया वादा पूरा हुआ यहाँ अपना एक साथ आने का । जब भी पुराना एलबम खुलता है.., तुम्हारी ढलते सूरज की फोटो के साथ यहाँ मेरे साथ आने की बात ज़रूर चलती है ।” 

       “तुम्हें पता है बरसों से चली आ रही हर बार की यही कहानी थी हमारी ।”तीसरे साथी को वार्तालाप में सम्मिलित करते हुए पहला साथी बोला ।”  

                 “मुझे क्रेडिट मिलना चाहिए प्लान मेरा था। बहुत बार इस अधूरे वादे के बारे में तुम दोनों से सुना, सोचा तुमसे तो पूरा होने से रहा 

मैं ही तुम दोनों का पेंडिग काम पूरा कर दूँ ।” - मुस्कुराट के साथ बोलते समय उसकी नज़रें अभी भी खिड़की के बाहर भागते पेड़ों और इमारतों 

पर टिकी थी ।

          “हाँ भई हाँ !! बात तो सही है तुम बिन हम भाग ही तो रहे थे जीवन में। जीने की कला बस सीख रहे हैं तुमसे !” दूसरे साथी ने हँसते हुए कहा ।

      हल्की-फुल्की बातों का सिलसिला गाड़ी के रूकने और “घणी खम्मा” के अभिवादन के साथ रूक गया ।

        गंतव्य आ गया था लेक “पिछोला” से दूर अरावली श्रृंखला की पहाड़ियों के पीछे छिपता सूरज आज भी हुबहू वैसा ही था जैसा 

बीस साल पहले था । 


                                     ***

22 comments:

  1. अतीत से वर्तमान का सुंदर मिलन....सच,बहुत ही खूबसूरत होता है ये मंजर..सदर नमन मीना जी

    ReplyDelete
  2. आपकी सारगर्भित सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ, हृदयतल से असीम आभार कामिनी जी !सादर सस्नेह वन्दे ।

    ReplyDelete
  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०५ -०३-२०२३) को 'कुछ रंग आपस में बांटे - --'(चर्चा-अंक -४६४४ ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ! सादर सस्नेह वन्दे!

      Delete
  4. सुंदर पोस्ट।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ ।हृदयतल से आभार सहित सादर वन्दे ।

      Delete
  5. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ ।हृदयतल से आभार सहित सादर वन्दे ।

      Delete
  6. सुंदर व सारगर्भित रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ ।हृदयतल से आभार सहित सादर वन्दे ।

      Delete
  7. वाह!मीना जी ,बहुत खूब!

    ReplyDelete
  8. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ शुभा जी !हृदयतल से आभार सहित सादर वन्दे ।

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति l
    होली की हार्दिक शुभकामनायें l

    ReplyDelete
  10. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ ।आपको भी सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ॥

    ReplyDelete
  11. आत्मीयता की आँच में पिघलाती सुंदर रचना

    ReplyDelete
  12. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने लेखनी का मान बढ़ाया ।हृदयतल से असीम आभार अनीता जी! सादर सस्नेह वन्दे ।

    ReplyDelete
  13. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ ।हृदयतल से आभार सहित सादर वन्दे ।

    ReplyDelete
  14. संवाद का अति सुन्दर संप्रेषण।
    अंत तक बांधे रही रचना। बहुत ही सुंदर सार्थक रचना के लिए बधाई मीना जी।

    ReplyDelete
  15. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ ।हृदयतल से आभार सहित सादर वन्दे जिज्ञासा जी !

    ReplyDelete
  16. बीस साल बाद ! सुनकर ही मन में रोमांच हो आता है। अब मैं बहुत कम पढ़ता हूँ। आज आपकी यह रचना पढ़कर बहुत अच्छा लगा। पिछोला झील का उल्लेख भी मन को उल्लसित कर गया (मैं राजस्थानी हूँ लेकिन उदयपुर गए हुए तथा पिछोला को देखे हुए बरसों बीत गए हैं)। सुगंधित शब्दों से पिरोई हुई आपकी इस मोहक रचना ने मन को मधुर स्मृतियों से भर दिया। आभार।

    ReplyDelete

  17. सादर नमस्कार जितेन्द्र जी ,
    लम्बे अन्तराल के बाद आपकी ब्लॉग पर उपस्थिति से अभिभूत हूँ । पोस्ट आपको अच्छी लगी लेखन सफल हुआ 🙏 आपका भी उदयपुर से नाता है यह जान कर बहुत ख़ुशी हुई । बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद ।आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया लेखनी को सदैव सार्थकता प्रदान करती है ।

    ReplyDelete