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Wednesday, March 24, 2021

'गलती'

बारिश में स्कूल से घरों की तरफ लौटती छात्राओं की भीड़ में वे दोनों भी हाथों में जूते लटकाए मस्ती से सड़क पर पानी में

छप-छप करती चली जा रही थीं । खुश थी दोनों.., उनके पास सीमित किताबें और एक-दो कॉपियाँ पॉलीथिन के

 अंदर पैक्ड थीं वे नहीं भीगेंगी यही सोच कर । अचानक एक

ने टूटी दीवार वाले घर के आंगन से जीर्ण कमरों की तरफ देखते हुए  कहा

- 'अब बारिश रुक जानी चाहिए ।'

    -  'क्यों तुझे अच्छा नहीं लग रहा..,बारिश में भीगना और रेनी-डेज़ इंजॉय करना।'  मुस्कुराते

 हुए पैरों से पानी उछालते हुए दूसरी ने कहा ।

-'अगर बारिश नहीं रूकी तो बाढ़ आ जाएगी । देख! घर गिरने

शुरू हो रहे हैं ।' पहली ने चिंतापूर्ण स्वर में जवाब दिया।

-'वाह! मजा आ जाएगा तब तो ।" अपनी ही झोंक में पानी के गढ्ढे में छपाक से कूदते हुए दूसरी बोली ।

- 'बेवकूफ! किसी के घर टूटेंगे तो तुझे खुशी होगी।' पहली का गुस्सा सातवें आसमान पर था ।

- 'हमारी हवेली भी गिर जाएगी तो  नया घर बनेगा वहाँ और

हवेली तोड़ने का खर्च भी बचेगा।' दूसरी ने मानो समझदारी दिखाई ।

- 'अपनी खुशी के लिए कितनों को कितना दुख पहुँचाएगी ! आज से तेरी-मेरी कुट्टी ।'

  पहली दुख मिश्रित गुस्से से बोल कर नाराजगी भरे तेज -तेज कदमों से अपने घर की ओर चल दी । 

हैरान परेशान दूसरी पीठ पर भीगते बैग और दोनों हाथों में जूते थामे अपनी प्रिय दोस्त को  जाते देख सोच रही थी कि उसकी गलती कहाँ पर थी ।


***


38 comments:

  1. बाल मन का बहुत सुंदर चित्रण।
    सादर

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    1. सराहना भरी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हृदय से असीम आभार अनीता जी ।

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  2. हैरान परेशान दूसरी पीठ पर भीगते बैग और दोनों हाथों में जूते थामे अपनी प्रिय दोस्त को जाते देख सोच रही थी कि उसकी गलती कहाँ पर थी ।---कमी अहसासों के संचरण में रह गई। बहुत खूब और अच्छी लघुकथा है...शुभकामनाएं।

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    1. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली..,हृदयतल से आभार संदीप शर्मा जी🙏

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  3. अपनी-अपनी सोच अपनी अपनी परेशानियाँ ,गरीबों की परेशानियाँ भला आमीर कैसे समझेंगे।
    अमीरी-गरीबी के फासले को बाल मनोविज्ञान द्वारा समझती बहुत ही सुंदर लघु कथा मीना जी,सादर नमन

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    1. सराहना सम्पन्न समीक्षात्मक प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार कामिनी ! सादर नमन!

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-03-2021 को चर्चा – 4,016 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. प्रस्तुति को मंच पर साझा करने हेतु हृदयतल से आभार दिलबाग सिंह जी।

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  5. लाजवाब. बहुत सुंदर 

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    1. हार्दिक आभार मनोज जी ।

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  6. अभिजात्य वर्ग में हो रहे लालन -पालन के कारण निर्धन के घर टूटने की व्यथा से अनभिज्ञ लड़की का बहुत मनोवैज्ञानिक ढंग से चित्रण किया है आपने।

    साधुवाद प्रिय मीना जी🙏

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    1. बच्चियों की संवेदनशीलता का मनोवैज्ञानिक चित्रण का उद्देश्य सफल हुआ आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया पा कर । हार्दिक आभार वर्षा जी 🙏

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  7. शायद दोनों ही सखियाँ अमीर घराने से हैं पर कोमल मन तुरंत आहात हो जाता है,और लापरवाह खिलंदड़ी सभाव बच्चे दर्द ही नहीं समझ पाते।
    हृदय स्पर्शी कथा सोच का अंतर दिखाती हुई

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    1. बच्चों में पाई जाने वाली संवेदनशीलता को दर्शाती प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार कुसुम जी ।

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  8. दोनो बच्चियों के स्वभाव के अंतर को लघुकथा में बखूबी बयाँ किया है । परिवेश के अंतर भी हो सकता है ।।
    अच्छी लघुकथा

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    1. आपकी सराहना पा कर लेखन सार्थक हुआ हृदयतल से आभार आ. संगीता जी🙏

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  9. सूक्ष्म मनोभावों को महीनी से उकेरा है । बहुत ही सुन्दर सृजन ।

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    1. सृजन का सार प्रदान करती प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ अमृता जी ।

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  10. परवरिश जनित समझ और स्वभाव का अंतर दोनों बच्चियों में था। एक सार्थक लघुकथा के लिए आपको शुभकामनाएँ।

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    1. बच्चों में पाई जाने वाली संवेदनशीलता को दर्शाती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार वीरेन्द्र सिंह जी ।

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  11. एक लघु कथा में ...बाल मनोभाव और वास्तव‍िकता के दो पहलू बहुत सुंदर तरीके से समेटे आपने मीना जी...बहुत ही खुबसूरत

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    1. हृदयस्पर्शी सारगर्भित प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ । हृदयतल से आभार अलकनंदा जी।

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  12. किसी भी बच्चे की सोच उसकी परवरिश,उसके संस्कार और उसके खुद के स्वभाव से परिलक्षित होती है,सुंदर मनोभाव को रेखांकित करती लघुकथा ।

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    1. हृदयस्पर्शी सारगर्भित प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ । हृदयतल से आभार जिज्ञासा जी।

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  13. अच्छी लघुकथा

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    1. स्वागत एवं आभार आदरणीय 🙏

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  14. सार्थक प्रयास - - बाल सुलभ भावनाओं को उजागर करती सुन्दर लघुकथा।

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    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार शांतनु सर!

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  15. आपकी लघुकथा को पढ़कर मन खुश हो जाता है,मामूली सी बात मे भी कितनी गहराई छिपी हुई है ,इस कहासुनी मे जीवन की सच्चाई सीख दोनों मौजूद है सादर नमन, हार्दिक बधाई हो मीना जी, शुभ प्रभात

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    1. शुभ प्रभात ज्योति जी 🌹🙏
      आपकी उर्जावान प्रतिक्रिया से लेखन को मान मिला । स्नेहिल आभार ज्योति जी ।

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    1. सूचना के लिए बहुत बहुत आभार आपका।

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  17. बालसुलभ भावों को बहुत ही रोचक ता से दिखाया है आपको...
    बहुत सुन्दर सार्थक लघुकथा।

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    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ सुधा जी!हृदयतल से आभार ।

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  18. सुन्दर लघुकथा...कई बार दृष्टिकोण का यही फर्क होता है....

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    1. लघुकथा को सार्थकता प्रदान करती आपकी प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा । हार्दिक आभार विकास जी!

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