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Thursday, January 7, 2021

'सत्य"

 "सभी लड़कियाँ ध्यान दें ..घर से सीधे स्कूल आए और

सीधे घर जाए । आपस में रंग खेलते या छुट्टी के बाद कहीं

भी मैंने स्कूल की किसी लड़की को देखा तो मुझसे बुरा

कोई नहीं होगा ।

 किसी भी लड़की के पास अगर रंग है तो आज ही 

अपनी क्लास टीचर को या फिर मुझे जमा करा दें ।" 

स्कूल की प्रधानाचार्या ने सख़्ती से प्रेयर-हॉल में छात्राओं

को संबोधित करते हुए कहा ।

पूरे हॉल में ऐसी शांति छाई थी कि कहीं पिन भी गिरे तो

आवाज़ सुनाई दे ।

 "होली के दिनों में हर साल लड़कियों को रोज़ाना यही

भाषण कड़वी दवाई की तरह पिलाया जाता है ।"

अध्यापिकाओं ने प्रेयर- हॉल छोड़ते हुए धीमे से वार्तालाप

जारी रख वातावरण को हल्का करने की कोशिश की ।

नई-नई अध्यापिका पद पर नियुक्त आंकाक्षा को

अनुशासन के नाम पर इतना सख़्त संबोधन पसन्द नहीं

आया। वह खामोशी से धीरे-धीरे स्कूली व्यवस्था समझने

की कोशिश कर रही थी । 

स्टाफ-रूम में सब के बीच से होती हुई वह रजिस्टर

उठा कर अपना पहला पीरियड लेने कक्षा कक्ष की

सीढ़ियों की ओर बढ़ी तो सामने जो दृश्य देखा वह कम से

कम उसके लिए तो अप्रत्याशित ही था- "सामने दो

लड़कियां प्रधानाचार्या की कोप भाजन का शिकार बनी

खड़ी थीं हाथों में गुलाल की पुड़िया थामे ।"

            कुछ सोचते हुए वह कक्षा में पहुँची तो गुड मॉर्निंग

के कोरम और उपस्थिति रजिस्टर की खाना-पूर्ति के बाद

उसने बोर्ड पर जैसे ही गाँधी जी के राजनीतिक प्रयोग की

चर्चा के लिए  टॉपिक लिखना शुरू किया वैसे ही कक्षा-कक्ष

में एक शरारती आवाज़ ने सरगोशी की - "आज सत्य पिट

रहा है सीढ़ियों के पास।"

आवाज़ वह पहचान गई थी मगर बिना पलटे 

बोर्ड पर लिखते हुए गंभीरता से कहा -

"कोई बात नहीं.., सत्य अमर है क्षणिक नहीं । आवेश में

विवेक सो जाता है कभी-कभी । जब जागेगा तब

जीत सत्य की ही होगी ।" 


***


29 comments:

  1. सत्य बेचैन हो सकता है,परंतु पराजित नहीं । सारगर्भित कहानी..

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    1. लघुकथा को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ जिज्ञासा जी ।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०१-२०२१) को 'कुछ देर ठहर के देखेंगे ' (चर्चा अंक-३९४१) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने हेतु आपका हार्दिक आभार अनीता । सस्नेह..,

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  3. सत्य अमर है क्षणिक नहीं । आवेश में

    विवेक सो जाता है कभी-कभी । जब जागेगा तब

    जीत सत्य की ही होगी ।" बिलकुल सच कहा आपने |सराहनीय लेख |

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    1. सृजन को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर 🙏

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  4. सत्य अमर है, क्षणिक नहीं। बहुत सुंदर कहानी।

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार विरेन्द्र सिंह जी ।

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  5. बहुत ही अच्छी लघुकथा रची है आपने मीना जी । अभिनंदन ।

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    1. सराहना भरी प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली..हार्दिक आभार जितेंद्र जी।

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  6. सत्य अमर है क्षणिक नहीं । आवेश में विवेक सो जाता है कभी-कभी । जब जागेगा तब जीत सत्य की ही होगी ....अपनी सत्यता को साबित करने हेतु सत्य को ऐसे विवेकहीन आवेशित कष्ट उठाते रहना होगा हमेशा से हमेशा तक....
    बहुत सुन्दर सार्थक लघुकथा।

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    1. लघुकथा को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ हृदय से आभार सुधा जी।

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  7. बहुत ही सुन्दर लघुकथा मीना जी ।
    सादर ।

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    1. सृजन को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ । हृदय से आभार सधु चन्द्र जी।

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  8. हर बच्चे को यदि ऐसी सीख मिले तो सदैव ही " सत्यमेव जयते " अति सुन्दर कथ्य ।

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  9. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार अमृता जी !

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  10. सत्य अमर है क्षणिक नहीं । प्रेरणादायक प्रस्तुति - - प्रभावशाली लेखन।

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    1. सृजन को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभार शांतनु जी!

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    1. हृदय से असीम आभार दी 🙏🌹🙏

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  12. एक शरारती आवाज़ ने सरगोशी की - "आज सत्य पिट

    रहा है सीढ़ियों के पास।"

    आवाज़ वह पहचान गई थी मगर बिना पलटे

    बोर्ड पर लिखते हुए गंभीरता से कहा -

    "कोई बात नहीं.., सत्य अमर है क्षणिक नहीं । आवेश में

    विवेक सो जाता है कभी-कभी । जब जागेगा तब

    जीत सत्य की ही होगी ।"

    मजा आ गया पढ़कर, बहुत ही सुंदर एवं प्रभावशाली लेखन ,सत्य के व्यापार में मुनाफा कम ही होता है , ये भाग्य पर निर्भर है , शुभप्रभात नमन


    ***

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    1. सुप्रभात ज्योति जी🙏🌹

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    2. बहुत बहुत आभार हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया हेतु ।

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  13. बहुत सुंदर ही अभिव्यक्ति।
    सादर

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    1. हार्दिक आभार अनीता जी!सस्नेह..

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    1. हृदय से स्नेहिल आभार आपका।

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  15. बहुत सुंदर मीना जी! इस तरह की प्रतीकात्मक रचना आप ही लिख सकती हैं। आज बहुत पढ़ा आपका ब्लॉग। गागर में सागर से लेखन के लिए बधाई और शुभकामनाएं🙏🙏 🌹🌹❤❤

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    1. निशब्द हूँ आपकी नेहपगी सराहना से..हृदयतल से हार्दिक आभार रेणु जी 🌹🙏🙏🌹❤️

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