"सभी लड़कियाँ ध्यान दें ..घर से सीधे स्कूल आए और
सीधे घर जाए । आपस में रंग खेलते या छुट्टी के बाद कहीं
भी मैंने स्कूल की किसी लड़की को देखा तो मुझसे बुरा
कोई नहीं होगा ।
किसी भी लड़की के पास अगर रंग है तो आज ही
अपनी क्लास टीचर को या फिर मुझे जमा करा दें ।"
स्कूल की प्रधानाचार्या ने सख़्ती से प्रेयर-हॉल में छात्राओं
को संबोधित करते हुए कहा ।
पूरे हॉल में ऐसी शांति छाई थी कि कहीं पिन भी गिरे तो
आवाज़ सुनाई दे ।
"होली के दिनों में हर साल लड़कियों को रोज़ाना यही
भाषण कड़वी दवाई की तरह पिलाया जाता है ।"
अध्यापिकाओं ने प्रेयर- हॉल छोड़ते हुए धीमे से वार्तालाप
जारी रख वातावरण को हल्का करने की कोशिश की ।
नई-नई अध्यापिका पद पर नियुक्त आंकाक्षा को
अनुशासन के नाम पर इतना सख़्त संबोधन पसन्द नहीं
आया। वह खामोशी से धीरे-धीरे स्कूली व्यवस्था समझने
की कोशिश कर रही थी ।
स्टाफ-रूम में सब के बीच से होती हुई वह रजिस्टर
उठा कर अपना पहला पीरियड लेने कक्षा कक्ष की
सीढ़ियों की ओर बढ़ी तो सामने जो दृश्य देखा वह कम से
कम उसके लिए तो अप्रत्याशित ही था- "सामने दो
लड़कियां प्रधानाचार्या की कोप भाजन का शिकार बनी
खड़ी थीं हाथों में गुलाल की पुड़िया थामे ।"
कुछ सोचते हुए वह कक्षा में पहुँची तो गुड मॉर्निंग
के कोरम और उपस्थिति रजिस्टर की खाना-पूर्ति के बाद
उसने बोर्ड पर जैसे ही गाँधी जी के राजनीतिक प्रयोग की
चर्चा के लिए टॉपिक लिखना शुरू किया वैसे ही कक्षा-कक्ष
में एक शरारती आवाज़ ने सरगोशी की - "आज सत्य पिट
रहा है सीढ़ियों के पास।"
आवाज़ वह पहचान गई थी मगर बिना पलटे
बोर्ड पर लिखते हुए गंभीरता से कहा -
"कोई बात नहीं.., सत्य अमर है क्षणिक नहीं । आवेश में
विवेक सो जाता है कभी-कभी । जब जागेगा तब
जीत सत्य की ही होगी ।"
***
सत्य बेचैन हो सकता है,परंतु पराजित नहीं । सारगर्भित कहानी..
ReplyDeleteलघुकथा को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ जिज्ञासा जी ।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०१-२०२१) को 'कुछ देर ठहर के देखेंगे ' (चर्चा अंक-३९४१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने हेतु आपका हार्दिक आभार अनीता । सस्नेह..,
Deleteसत्य अमर है क्षणिक नहीं । आवेश में
ReplyDeleteविवेक सो जाता है कभी-कभी । जब जागेगा तब
जीत सत्य की ही होगी ।" बिलकुल सच कहा आपने |सराहनीय लेख |
सृजन को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर 🙏
Deleteसत्य अमर है, क्षणिक नहीं। बहुत सुंदर कहानी।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार विरेन्द्र सिंह जी ।
Deleteबहुत ही अच्छी लघुकथा रची है आपने मीना जी । अभिनंदन ।
ReplyDeleteसराहना भरी प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली..हार्दिक आभार जितेंद्र जी।
Deleteसत्य अमर है क्षणिक नहीं । आवेश में विवेक सो जाता है कभी-कभी । जब जागेगा तब जीत सत्य की ही होगी ....अपनी सत्यता को साबित करने हेतु सत्य को ऐसे विवेकहीन आवेशित कष्ट उठाते रहना होगा हमेशा से हमेशा तक....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सार्थक लघुकथा।
लघुकथा को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ हृदय से आभार सुधा जी।
Deleteबहुत ही सुन्दर लघुकथा मीना जी ।
ReplyDeleteसादर ।
सृजन को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ । हृदय से आभार सधु चन्द्र जी।
Deleteहर बच्चे को यदि ऐसी सीख मिले तो सदैव ही " सत्यमेव जयते " अति सुन्दर कथ्य ।
ReplyDeleteआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार अमृता जी !
ReplyDeleteसत्य अमर है क्षणिक नहीं । प्रेरणादायक प्रस्तुति - - प्रभावशाली लेखन।
ReplyDeleteसृजन को सार्थकता देती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभार शांतनु जी!
Deleteसदैव विजय हो
ReplyDeleteहृदय से असीम आभार दी 🙏🌹🙏
Deleteएक शरारती आवाज़ ने सरगोशी की - "आज सत्य पिट
ReplyDeleteरहा है सीढ़ियों के पास।"
आवाज़ वह पहचान गई थी मगर बिना पलटे
बोर्ड पर लिखते हुए गंभीरता से कहा -
"कोई बात नहीं.., सत्य अमर है क्षणिक नहीं । आवेश में
विवेक सो जाता है कभी-कभी । जब जागेगा तब
जीत सत्य की ही होगी ।"
मजा आ गया पढ़कर, बहुत ही सुंदर एवं प्रभावशाली लेखन ,सत्य के व्यापार में मुनाफा कम ही होता है , ये भाग्य पर निर्भर है , शुभप्रभात नमन
***
सुप्रभात ज्योति जी🙏🌹
Deleteबहुत बहुत आभार हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया हेतु ।
Deleteबहुत सुंदर ही अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार अनीता जी!सस्नेह..
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहृदय से स्नेहिल आभार आपका।
Deleteबहुत सुंदर मीना जी! इस तरह की प्रतीकात्मक रचना आप ही लिख सकती हैं। आज बहुत पढ़ा आपका ब्लॉग। गागर में सागर से लेखन के लिए बधाई और शुभकामनाएं🙏🙏 🌹🌹❤❤
ReplyDeleteनिशब्द हूँ आपकी नेहपगी सराहना से..हृदयतल से हार्दिक आभार रेणु जी 🌹🙏🙏🌹❤️
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