【 चित्र : गूगल से साभार 】
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का एक अनूठा आकर्षण
रहा है मेरे मन में । बचपन में स्कूली मार्चपास्ट में भाग लेना
और बैंड के साथ कदम से कदम मिलाते राष्ट्रीय ध्वज को
सलामी देते हुए मंच के सामने से गुजरना रोम रोम में पुलकन
भर देता था । मगर नहीं भूल पाती शिक्षिका बनने के बाद का
बैंड की इंचार्ज के रूप में अपना पहला पन्द्रह अगस्त जब
स्कूल की प्रिन्सिपल ने यह दायित्व मुझे सौंपा । दरअसल
हमारे यहाँ स्कूलों की परम्परा थी कि हर शिक्षक को शिक्षण
कार्य के अतिरिक्त एक सहायक गतिविधि का दायित्व भी
वहन करना है ।
रहा है मेरे मन में । बचपन में स्कूली मार्चपास्ट में भाग लेना
और बैंड के साथ कदम से कदम मिलाते राष्ट्रीय ध्वज को
सलामी देते हुए मंच के सामने से गुजरना रोम रोम में पुलकन
भर देता था । मगर नहीं भूल पाती शिक्षिका बनने के बाद का
बैंड की इंचार्ज के रूप में अपना पहला पन्द्रह अगस्त जब
स्कूल की प्रिन्सिपल ने यह दायित्व मुझे सौंपा । दरअसल
हमारे यहाँ स्कूलों की परम्परा थी कि हर शिक्षक को शिक्षण
कार्य के अतिरिक्त एक सहायक गतिविधि का दायित्व भी
वहन करना है ।
वहाँ अपने हिस्से में बैंड की जिम्मेदारी आई । बैंड की
प्रैक्टिस करवाने हफ्ते में तीन दिन आर्मी के रिटायर्ड बैंड सर
आते थे सो परेशानी कुछ खास थी भी नहीं लेकिन शीघ्र ही
उन परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ा । हुआ ये कि बैंड
सर इस्ट्रूमेंट्स की सफाई वाले दिन यानि पन्द्रह अगस्त से
पहले दिन अनुपस्थित हो गए । हमें लगा कोई नहीं … आसान
सा काम ही तो है साफ - सफाई ।
प्रैक्टिस करवाने हफ्ते में तीन दिन आर्मी के रिटायर्ड बैंड सर
आते थे सो परेशानी कुछ खास थी भी नहीं लेकिन शीघ्र ही
उन परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ा । हुआ ये कि बैंड
सर इस्ट्रूमेंट्स की सफाई वाले दिन यानि पन्द्रह अगस्त से
पहले दिन अनुपस्थित हो गए । हमें लगा कोई नहीं … आसान
सा काम ही तो है साफ - सफाई ।
बड़े जोश से सब छात्राओं ने ब्रासो और प्राइमर के
साथ इस्ट्रूमेंट्स चमकाये और अगले दिन के लिए सहायक
सर्वेंट से रखवा दिये । पन्द्रह अगस्त की सुबह...चार स्कूलों
का स्टाफ और मार्चपास्ट के ट्रुपस् नियत स्थानों पर..,यह पहले
से ही तय था कि मुख्य अतिथि द्वारा ध्वजारोहण के साथ
ही राष्ट्रगान हमारे स्कूल के बैंड द्वारा ही बजना है । जैसे
ही ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान शुरु हुआ अधिकांश
ट्रमपेंटस् के सुर गायब और फूंक मारती 'की' चलाती लड़कियों
की आँखें हैरत से बाहर..चंद बारीटोनस् और ट्रमपेंटस्
की आवाज़ बिल्कुल धीमी.. और इसी के साथ मेरे माथे पर
ठंडा पसीना.. लेकिन एक सेकेंड की देरी किये बिना फ्लूट्स
ग्रुप ने आँखों ही आँखों मुझे आश्वस्त कर स्थिति की गंभीरता
को बहुत अच्छे से संभाला । पूरा राष्ट्रगान लगभग
फ्लूट्स ,बेसड्रम और साइड ड्रमस के सहारे बजा । तब तक
बैंड सर भी मंच छोड़ ग्रुप के पास पहुंच चुके थे । मुख्य
अतिथि महोदय के भाषण के दौरान उन्होंंने स्थिति संभाली
और सभी ट्रमपेंटस् की चाबियां दुरूस्त की । लड़कियों का
मूड तब सुधरा जब उनका समूह अन्त में ...सारे जहां
से अच्छा..बजाता मंच के सामने से गुजरा और उनके लिए
खूब तालियां बजी और वाहवाही हुई । बैंड सर की भी नये
प्रयोग के लिए प्रशंसा हुई जिसको स्वीकारते वे थोड़े
असहज थे ।
साथ इस्ट्रूमेंट्स चमकाये और अगले दिन के लिए सहायक
सर्वेंट से रखवा दिये । पन्द्रह अगस्त की सुबह...चार स्कूलों
का स्टाफ और मार्चपास्ट के ट्रुपस् नियत स्थानों पर..,यह पहले
से ही तय था कि मुख्य अतिथि द्वारा ध्वजारोहण के साथ
ही राष्ट्रगान हमारे स्कूल के बैंड द्वारा ही बजना है । जैसे
ही ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान शुरु हुआ अधिकांश
ट्रमपेंटस् के सुर गायब और फूंक मारती 'की' चलाती लड़कियों
की आँखें हैरत से बाहर..चंद बारीटोनस् और ट्रमपेंटस्
की आवाज़ बिल्कुल धीमी.. और इसी के साथ मेरे माथे पर
ठंडा पसीना.. लेकिन एक सेकेंड की देरी किये बिना फ्लूट्स
ग्रुप ने आँखों ही आँखों मुझे आश्वस्त कर स्थिति की गंभीरता
को बहुत अच्छे से संभाला । पूरा राष्ट्रगान लगभग
फ्लूट्स ,बेसड्रम और साइड ड्रमस के सहारे बजा । तब तक
बैंड सर भी मंच छोड़ ग्रुप के पास पहुंच चुके थे । मुख्य
अतिथि महोदय के भाषण के दौरान उन्होंंने स्थिति संभाली
और सभी ट्रमपेंटस् की चाबियां दुरूस्त की । लड़कियों का
मूड तब सुधरा जब उनका समूह अन्त में ...सारे जहां
से अच्छा..बजाता मंच के सामने से गुजरा और उनके लिए
खूब तालियां बजी और वाहवाही हुई । बैंड सर की भी नये
प्रयोग के लिए प्रशंसा हुई जिसको स्वीकारते वे थोड़े
असहज थे ।
बाद में पता चला कि फ्लूट्स की मधुर ध्वनि और ड्रमस
की बीट्स पराम्परागत बैंड में एक अभिनव प्रयोग समझी गई । मेरे अनजान होने और छात्राओं के जोश के कारण सफाई
के दौरान ट्रमपेंटस् की चाबियों के नंबर उल्टे-सीधे डल गए
जिनके चलते उनसे आवाज़ निकलनी बंद हो गई । मैं भी जब
तक वहाँ कार्यरत रही कसम खा ली कि इस्ट्रूमेंट्स के
रख- रखाव और सफाई कार्यक्रम के बाद कम से कम दो
प्रैक्टिस तो जरूर होगी ।
की बीट्स पराम्परागत बैंड में एक अभिनव प्रयोग समझी गई । मेरे अनजान होने और छात्राओं के जोश के कारण सफाई
के दौरान ट्रमपेंटस् की चाबियों के नंबर उल्टे-सीधे डल गए
जिनके चलते उनसे आवाज़ निकलनी बंद हो गई । मैं भी जब
तक वहाँ कार्यरत रही कसम खा ली कि इस्ट्रूमेंट्स के
रख- रखाव और सफाई कार्यक्रम के बाद कम से कम दो
प्रैक्टिस तो जरूर होगी ।
यद्यपि बैंगलोर में भी आवासीय परिसरों में राष्ट्रीय पर्व
बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं मगर मुझे टी.वी. पर ही
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम देखना
व अतीत की वीथियों में विचरण करना अच्छा लगता है । मैं
जब भी बैंड की धुन पर ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान सुनती हूँ
तो सावधान की मुद्रा में खड़ी हो जाती हूँ और मेरे साथ घर के
सदस्य भी । उस मधुर गूंज के साथ बचपन की मार्चपास्ट
और स्कूल के बैंड के साथ मेरे राष्ट्रीय पर्वों के शुभ अवसरों
पर गौरवान्वित करने वाले पलों के दृश्य उस वक्त मेरी आँखों के आगे साकार हो उठते हैं ।
बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं मगर मुझे टी.वी. पर ही
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम देखना
व अतीत की वीथियों में विचरण करना अच्छा लगता है । मैं
जब भी बैंड की धुन पर ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान सुनती हूँ
तो सावधान की मुद्रा में खड़ी हो जाती हूँ और मेरे साथ घर के
सदस्य भी । उस मधुर गूंज के साथ बचपन की मार्चपास्ट
और स्कूल के बैंड के साथ मेरे राष्ट्रीय पर्वों के शुभ अवसरों
पर गौरवान्वित करने वाले पलों के दृश्य उस वक्त मेरी आँखों के आगे साकार हो उठते हैं ।
***
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (१५-०८-२०२०) को 'लहर-लहर लहराता झण्डा' (चर्चा अंक-३७९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
चर्चा मंच की प्रस्तुति में संस्मरण को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनीता ।
Deleteकृपया इस लिंक पर अवश्य पधारे इसमें आप भी शामिल हैं -
ReplyDeletehttps://ghazalyatra.blogspot.com/2020/08/blog-post_14.html?m=0
ग़ज़लयात्रा की स्वतन्त्रता दिवस की विशेष प्रस्तुति में स्वयं को देखना सुखद अहसास है बहुत बहुत आभार वर्षा जी 🙏🙏
Deleteउन दिनों का जोश ही निराला था ,जिसमें धीरे-धीरे उदासीनता समाती जा रही है.
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया पाकर लेखनी धन्य हो गई... हार्दिक आभार मैम!स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाई 🙏
Deleteबचपन में इस दिन का एक अलग ही आनंद था जो अब जाता रहा,मगर हम तो आज भी टी.वी के आगे उसी उत्साह से तैयार होकर बैठ जाते है,बहुत ही सुंदर संस्मरण मीना जी , स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आपको
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने..यादें अनमोल होती हैं वाकई में..स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाई आपको .जयहिंद.. जय भारत .
Deleteबहुत सुंदर शानदार संस्मरण सदैव यादों में बसा अहसास।
ReplyDeleteदेर आए दुरुस्त आए।
जय हिन्द जय भारत।🌹🌷🌹
आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ कुसुम जी । आपको भी स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई🌹🌹...
Deleteजयहिंद जय भारत.
बेहतरीन आलेख। स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteआपके अनमोल प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा सर ! आपको भी स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं संग बहुत बहुत बधाई ।
Deleteपढ़ कर याद आया की पहली बार कविता सुनाते सुनाते मैं भूल गया था और ठन्डे पसीने छुट गए थे. अब हंसी आती है.
ReplyDeleteअनमोल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार सर !
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार मनोज जी .
ReplyDeleteएक बेहतरीन पोस्ट
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
Deleteसवाई सिंह राजपुरोहित जी ।
कृपया मेरी इस पोस्ट का अवलोकन करने और उस पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने का कष्ट करें। इसमें आप भी शामिल हैं।
ReplyDeletehttp://varshasingh1.blogspot.com/2020/10/blog-post_1.html?m=0
आपका बहुत बहुत आभार और अनेकानेक धन्यवाद इस संग्रह में मेरे सृजन को मान देने के लिए .🙏🙏
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