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Wednesday, April 27, 2022

"एक कप चाय" (लघुकथा)



दिसम्बर की कोहरे में ठंड से कड़कड़ाती रात और दूर की 

रिश्तेदारी में विवाह । अचानक खबर आई कुछ लोग 

रात भर रुकेंगे उनके यहाँ.. बरसों बाद मिले सगे-सम्बन्धियों

 में जब बातें शुरू होती हैं तो थमती कहाँ हैं और समय

 ठंड का हो तो गर्म चाय के साथ गर्मजोशी से स्वागत करना तो बनता ही है।

                चाय बनाने की जिम्मेदारी उसकी थी और बातों के 

दौर के मध्य कुछ कुछ अन्तराल के बाद 'एक कप चाय' की फर्माइश भी आ ही रही थी अतः वह चट्टाई बिछा कर रसोईघर 

में ही बैठ गई ।मेहमान उसके लिए अपरिचित होते हुए भी 

परिचित थे तभी तो साधिकार नाम के साथ बिटिया का संबोधन और साथ ही 'एक कप चाय' की मांग भी कर रहे थे। उन 

परिचितों के बीच एक जोड़ी अपरिचित आँखें और भी थी 

जिनकी मुस्कुराहट कहीं न कहीं उसे असहज करने में सक्षम थी ।

                रात भर के जागरण  के बाद भोर से पूर्व मंदिरों 

की आरती की घंटियों ने प्रभात-वेला होने की सूचना दी कि सभी जाने की तैयारी में लग गए । उसने कमरे की दहलीज पर 

पहुँच कर पूछा---'एक कप चाय और'… । कई स्नेहिल 

आशीर्वाद से भरे ठंडे हाथ उसके ठंडे बालों पर स्वीकृति से 

टिके ही थे कि  कानों में एक आवाज गूंजी --'जी हाँ …,चलते 

चलते एक कप चाय और …, हो ही  जाए।’

              सर्दियाँ हर साल आती हैं और मंदिरों की आरती भी नियत समय पर ही होती  है ।आरती के समय पौ फटने से पूर्व उसकी दिन की शुरुआत  करने की आदत भी वैसे की वैसी

 है । आरती की साथ शंख की आवाज़ सुनते हुए उसके अभ्यस्त  हाथ भाप उड़ाती चाय की प्याली को उठा कर ठंड से सुन्न पड़ी अंगुलियों में गर्माहट महसूस करते हुए  होठों से लगा लेते हैं .., 

और  दिमाग़ में अतीत दस्तक देते हुए  कहता है - “एक कप 

चाय और….।”


                                  ***

           

20 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 28 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. पाँच लिंकों के आनन्द में रचना सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी ।

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  2. Replies
    1. हार्दिक आभार विकास जी !

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28-04-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4414 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति चर्चा मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

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    1. चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय दिलबाग सिंह जी ।

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  4. उन अपरिचित आँखों की कहानी अधूरी ही रह गयी ! जिज्ञासा बनी रही !

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    1. हार्दिक आभार आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु । सादर वन्दे ।

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  5. वाह आपने तो मुझे हमारे यहाँ रात भर होने वाली शादियों के कार्यक्रम की याद दिला दी। मैं भी चाय के बिना ज्यादा देर नहीं रह पाती और ऐसे मौको पर तो जितनी मिली एक और कप , एक कप और कभी खत्म ही नहीं होता सिलसिला

    बहुत अच्छी यादें

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    1. लेखनी को सार्थकता प्रदान करती आपकी उर्जावान और सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए
      हार्दिक आभार कविता जी ! सादर वन्दे !

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  6. बहुत सुंदर। चाय के जैसी ही लघुकथा।
    मन के भाव खुल कर बिखर पड़े।
    सादर

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  7. लेखनी को सार्थकता प्रदान करती उर्जावान और सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी !

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  8. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुपमा जी ।

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  9. बहुत सुंदर लघुकथा मीना जी ...चाय के साथ...वाह

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  10. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार अलकनन्दा जी !
    सादर वन्दे !

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  11. हार्दिक आभार अनुज संजय ।

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