“मॉम ! आज बसंत पंचमी है । एक श्लोक याद करवा दो
प्लीज़ ! और वो पीली वाली ड्रेस कहाँ रखी है ।अब की
बार भी पिछले साल की तरह ही स्कूल में ऑनलाइन
सेलेब्रेशन है।”
“मुझे भी ड्यूटी पर जल्दी पहुँचना है ।तुम्हे जो भी चाहिए जल्दी करो ..,चलो मेरे साथ-साथ बोलो - या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता….., पारूल काम करते करते आहना
को श्लोक याद कराने लगी।
“पारो ! प्लीज़ पीले वाले मीठे चावल जरुर बना कर जाना !” शेखर ने लैपटॉप पर नजर गड़ाए हुए पारुल से कहा ।
मेड के न आने से चक्करघिन्नी बनी पारुल की स्मृतियों के गवाक्ष धीरे-धीरे खुलने लगे और खिड़की पर झूलती एक नन्ही लड़की उसकी आंखों के आगे साकार हो उठी - “आपका नाम शारदा क्यों है माँ ?”
-“मैं बसंत पंचमी को जन्मी थी , तेरे नाना-नानी ने दिया मुझे
यह नाम ।” चूल्हे पर रोटी सेंकती माँ ने गीली लकड़ियों के धुंए से
लाल आँखों से बेटी को देखते हुए कहा , उनके चेहरे पर मुस्कराहट थी ।
“वाह ! कल आपका जन्मदिन सभी स्कूल मनायेंगे सरस्वती मंदिर के आंगन में..।” झूमती हुई पारूल बोली ।
“अब की बार तेरे नंबर पिछले साल से कम हैं ।अगर ऐसे ही कम नंबर लाएगी तो बन गई डॉक्टर ।पापा से जोर डाल न कह सकूंगी तेरे को बहुत पढ़ना है । तेरी दादी जी तैयार बैठी हैं दसवीं के बाद शादी के लिए ।” माँ ने मानो हिदायत दी ।
“सॉरी माँ ! नौंवीं कक्षा के अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्रगतिपत्र को माँ के हाथ से लेती पारूल की नजरें झुकी थी ।
काम खत्म करती हुई पारूल ने घड़ी की तरफ देखा साढ़े नौ बज गए थे , आहना अपने लैपटॉप के सामने थी । शेखर की मीटिंग भी स्टार्ट हो गई थी शायद ।
तैयार होती पारूल का मन फिर भटकने लगा…, माँ नहीं रही उसकी डिग्री कम्प्लीट होती देखने के लिए । टेबल से गाड़ी की चाबी और स्टेथोस्कोप उठाते हुए शेखर को गेट बंद करने का इशारा करते समय उसका दिलोदिमाग माँ के साथ सरस्वती मन्दिर के प्रांगण में विचरण कर रहा था -
“या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”
***
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (6-2-22) को "शारदे के द्वार से ज्ञान का प्रसाद लो"(चर्चा अंक 4333)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
Deleteread me also pls
Deleteकल आज और कल को एक छोटी कहानी के माध्यम से बेहद खुबसूरती से दर्शाया है आपने मीना जी, नहीं जा रही बीते दिनों की यादें और डरा रहा है आने वाले कल । क्या हमारी संस्कृति और प्रकृति दोनों बिल्कुल बदल जाएगी,सादर नमन आपको
ReplyDeleteजड़ें मजबूत रखने के लिए वृक्ष को हवा,पानी और प्रकाश की आवश्यकता होती है शेष प्रकृति अपने आप संभाल लेती है । वैसे ही हमारी संस्कृति है जिसका स्वरूप परिवर्तित होता है पर मूल वही रहता है ।यह मेरा सोचना है कि यादें हमारी हवा,पानी और प्रकाश हैं । आपकी स्नेहिल उपस्थिति के
Deleteलिए हृदय से आभार एवं नमन ।
सच कामकाजी महिलाओं को घर और बाहर कितना कुछ देखना और संभालना होता है, सबका कितना ध्यान रखना होता है
ReplyDeleteचलो इस बात की तसल्ली जरूर होती है बच्चे हमारे त्यौहारों के प्रति जागरूक तो हैं और वे इनके बारे में जानने के लिए उत्सुक भी रहते हैं
बहुत बढ़िया , वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
read me also pls
Deleteआपकी सराहना सम्पन्न समीक्षा ने सृजन को सारगर्भित सार्थकता प्रदान करने के साथ - साथ मेरे उत्साह को भी द्विगुणित किया । वसंतोत्सव की शुभकामनाओं सहित हृदयतल से आभार कविता जी !
ReplyDeleteवाह! वासंती रंगों सी सुंदर कहानी!
ReplyDeleteसृजन सार्थक हुआ अनीता जी आपकी सराहना से... बहुत बहुत आभार आपका ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर संस्मरणात्मक कहांनी! दिल को छू गयी। हार्दिक साधुबाद!--ब्रजेंद्रनाथ
ReplyDeleteसृजन सार्थक हुआ आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से, बहुत बहुत आभार आपका 🙏
Deleteread me also pls
Deleteअति सुन्दर लघु कथा
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ हार्दिक आभार अनुज ।
Deleteवाह ! मीना जी शानदार कहानी के लिए बहुत बधाई ।
ReplyDeleteतीन पीढियों के समय, संस्कृति,रहन सहन,जीवनचर्या रिश्तों,को हर कोण से छूती ये लघुकथा बसंत पंचमी की महत्ता को रेखांकित कर गई .. सुंदर लेखन
कहानी आपको पसन्द आई लेखन सफल हुआ... सराहना पूर्ण प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।
Deleteread me also pls
DeleteJude hmare sath apni kavita ko online profile bnake logo ke beech share kre
ReplyDeletePub Dials aur agr aap book publish krana chahte hai aaj hi hmare publishing consultant se baat krein Online Book Publishers
Behteen jankaari ke liye bahut bahut dhanywaad .
Deleteread me also pls
Deleteजी 🙏
Deletebasant panchami ko lekar achha kaha
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ हार्दिक आभार ।
Deleteसार्थक और सुंदर कहानी
ReplyDeleteबधाई
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ हार्दिक आभार सर 🙏
Deleteबहुत सुंदर,ह्रदय को स्पशॆ करती कहानी, आदरणीया शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ हार्दिक आभार आदरणीया 🙏
Deleteमन भावुक हो गया ये कथा पढ़कर प्रिय मीना जी।समय का चक्र गोल घूमता है।
ReplyDeleteसृजन सार्थक हुआ आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से, बहुत बहुत आभार आपका प्रिय रेणु जी !
DeleteNice Sir .... Very Good Content . Thanks For Share It .
ReplyDelete( Facebook पर एक लड़के को लड़की के साथ हुवा प्यार )
( मेरे दिल में वो बेचैनी क्या है )
( Radhe Krishna Ki Love Story )
( Raksha Bandhan Ki Story )
( Bihar ki bhutiya haveli )
( akela pan Story in hindi )
( kya pyar ek baar hota hai Story )