सगाई समारोह की गहमागहमी में सांवली सलोनी
पीहू खुश थी अपनी मनपसन्द ड्रेस के साथ ।
आज की स्कूल से छुट्टी का वह पूरा फायदा उठाएगी अपनी पसन्दीदा आइसक्रीम खा कर । फिर से भूख लगेगी तो वही स्ट्राबेरी फ्लेवर वाली आइसक्रीम ही खाएगी मैन्यू देख कर उसने फैसला कर लिया था ।
"सुनो !" - अचानक अपने पीछे से आवाज सुन पीहू ने पलट कर देखा ।
-" वो अंकल जो सामने खड़े हैं उन्हें बोलो मैं बुला रहा हूँ उनको .., देखो धीरे से कहना कोई सुने नहीं ।"
"आपके हाथ में मोबाईल है ..आप बात क्यों नहीं कर लेते ।"
हाजिर जवाब पीहू का मूड नहीं था संदेश वाहक बनने का।
कुछ देर इधर-उधर अपनी हमउम्र रिश्तेदार लड़कियों के साथ घूम कर वह अपनी फेवरिट आइसक्रीम के साथ इतेफ़ाक से उसी जगह आ खड़ी हुई जहाँ वह परेशान लड़का उन्हीं अंकल के साथ सरगोशी भरी बहस में उलझ रहा था - 'आपने कहा था लड़की बहुत सुन्दर है बस रंग थोड़ा सा दबा है जोड़ी अच्छी लगेगी तुम दोनों की लेकिन यहाँ तो दिन-रात का अन्तर दिख रहा है..आप भी बस पापा ! मैं नहीं पहननाने वाला उसे अंगूठी ।'
- "चुप कर.., बहुत दे रहे हैं वे । तुम दोनों को भी तो भेज रहे है यू.एस.ए. … और क्या चाहिए ।" उनकी बहस सुन कर पीहू हट गई वहाँ से... 'बड़ों की बात नहीं सुननी चाहिए ।' यही सोच कर
लेकिन मन परेशान हो गया सौम्या दीदी के लिए ...अगर कुछ गड़बड़ हो गई तो ? सोचते हुए उसने आइसक्रीम वही रख दी मेज पर ।
थोड़ी देर बाद बाद रिंग सेरेमनी आरम्भ हो गई ।
मंत्रोच्चार के बीच सौम्या दीदी और वही परेशान लड़का मुस्कुराते हुए एक दूसरे को अंगूठी पहना रहे थे।मेहमान और मेज़बान उत्साहित हो कर जोड़ी को सराह रहे थे-- लवली कपल.., मेड फॉर इच अदर…, लाखों में एक...,और बधाई लेने और देने का सिलसिला जारी हो गया ।
पीहू भी एक टेढ़ी मुस्कुराहट के साथ स्ट्राबेरी फ्लेवर की आइसक्रीम के स्टॉल की तरफ बढ़ गई ।
***
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (8-8-21) को "रोपिये ना दोबारा मुट्ठी भर सावन"(चर्चा अंक- 4150) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच पर सृजन को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
Deleteसमाज का आइना दिखती हुई हृदयस्पर्शी लघु कथा !!
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करती सराहना हेतु हार्दिक आभार अनुपमा जी!
Deleteबहुत बढ़िया। सत्य घटनाओं को दर्शाती कहानी।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार शिवम् जी ।
Deleteसमाज की विद्रूपता को पीहू ने अपनी टेढ़ी मुस्कुराहट में समेट
ReplyDeleteलिया था । बेहतरीन लघुकथा ।
उत्साहवर्धन करती सराहना हेतु हार्दिक आभार मैम ! सप्रेम वन्दे 🙏🌹🙏
Deleteबहुत ही बढ़िया लघुकथा 👌
ReplyDeleteसादर
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार अनीता जी!
Deleteमीनाजी, ऐसी ही विसंगत शादियों के कारण आजकल तलाक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एक ऐसा विषय जो दिखावे और अमीरी के प्रदर्शन की आड़ में छुप जाता है। अच्छी लगी लघुकथा।
ReplyDeleteलघुकथा आपको अच्छी लगी..लेखन सफल हुआ मीना जी!
Deleteआपकी उपस्थिति सदैव हौसलाअफजाई करती है ।
बहुत बढिया मीना जी | लोग लालच में बेमेल शादियों के बंधन में बच्चों को बाँध तो देते हैं पर इसके परिणाम अधिकतर बहुत दुखदायी होते हैं | एक बच्ची जान गयी समाज का ये कुटिल और छद्म सत्य ! प्रभावी कथा | हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |
ReplyDeleteहौसला अफजाई करती आपकी प्रतिक्रिया सदैव सृजन को मान व मुझे हर्ष प्रदान करती है । रेणु जी हार्दिक आभार।
Deleteलालच तथा फरेब से की गई शादियों का परिणाम अक्सर तलाक तक पहुंच जाता है,पर लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आते,सार्थक संदेश देती सार्थक कथा।
ReplyDeleteसारगर्भित समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सृजन को
Deleteसार्थकता मिली । बहुत बहुत आभार जिज्ञासा जी।
सच को बयां करती बेहतरीन लघुकथा
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार मनीषा जी!
Deleteबहुत ही उत्कृष्ट लघु कथा - - नमन सह।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शांतनु सर🙏
Deleteबेहतरीन लघुकथा।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुराधा जी!
Deleteसमाज का मौलिक चेहरा दर्शाती हुई कथा...। सच बहुत कुछ यूं ही तो बदल गया है...। बहुत लेखनी है मीना जी।
ReplyDeleteसारगर्भित प्रतिक्रिया पा कर लेखन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार संदीप जी।
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भारती जी!
Deleteसमाज का आईना दर्शाती लघु-कथा। कई जगह अभी भी शादी सौदे का दूसरा नाम ही है।
ReplyDeleteसारगर्भित प्रतिक्रिया पा कर लघुकथा को सार्थकता मिली।
Deleteहार्दिक आभार विकास जी ।
बहुत बहुत सुन्दर लघु कथा |
ReplyDeleteहार्दिक आभार आलोक सर!
Deleteलघुकथा का अंतिम वाक्य कडवे सत्य को उजागर कर गया। बहुत बढ़िया लघुकथा। आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं। सादर।
ReplyDeleteसराहना भरी सारगर्भित प्रतिक्रिया पा कर लघुकथा को सार्थकता मिली। हार्दिक आभार वीरेंद्र जी ।
Deleteऔर करती भी क्या बेचारी पीहू....।
ReplyDeleteइन प्रशंसाओं के पीछे के कड़वे सत्य को जानकर और शादी के इस सौदे को पहचान कर सीधी मुस्कराहट बने भी कैसे
लाजवाब लघुकथा।
सराहना भरी सारगर्भित प्रतिक्रिया पा कर लघुकथा को सार्थकता मिली। हार्दिक आभार सुधा जी।
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