"यहाँ पर तो एक फैमिली रहती थी पहले अभी तो बड़ी
सुनसान लग रही है यह हवेली ।"
बहुत समय के बाद बाहर से लौटे अंशुमन ने अपने दोस्त समीर
से चाय पीते हुए पूछा । वैसे उसे याद तो 'एक फैमिली' की
इकलौती लड़की का नाम भी था और उसके पिता का नाम
भी मगर दोस्त और उसकी पत्नी के आगे बोलना नहीं
चाहता था ।
"पता नही क्या झगड़ा था आपस में परिवार का…,एक दिन
सुबह -सुबह चीख-चिल्लाहट की आवाज़ें आईं । हम लोगों ने
छत से देखा तो चार-पाँच आदमी सामान बाहर फेंकते दिखे
उसके बाद से यह हवेली बंद ही पड़ी है ।" अपने बच्चे को पत्नी
की गोद में देते हुए समीर ने जवाब दिया।
"ऐसे-कैसे कोई किसी के साथ कर सकता है ?
तुमने खामोशी कैसे ओढ़ ली ?" घटनाक्रम जान कर अंशुमन
आवेश में आ गया ।सफाई देते हुए बड़ी गंभीरता से समीर
बोला- "देख सीधी सी बात है हम तो नये आए लोग हैं यहाँ..,,
पूरे मोहल्ले में सब घर बंद थे पता तो सभी को था मगर एक
भी बंदा बाहर नहीं निकला । बाद में सभी ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि आपस में भाई-भाई का झगड़ा था । पता
नहीं कल को वे एक हो जाएँ ,हमें क्यों टांग अड़ानी किसी के
फटे में ।"
हाथ की चाय का आखिरी घूंट अंशुमन को कड़वा
लगा कटु यथार्थ जैसा ।
***
व्वाहहहहह..
ReplyDeleteसादर..
हार्दिक आभार यशोदा जी . सादर..
ReplyDeleteसमाज को प्रतिबिंबित करती लघु-कथा।
ReplyDeleteहार्दिक आभार विकास जी!
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-8-21) को "कटु यथार्थ"(चर्चा अंक 4166) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच पर सृजन को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
Deleteसमाज की कटु सच्चाई बयान करती उत्कृष्ट लघुकथा।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
Deleteसमस्या तो यही है मीना जी आज के समाज की - हमें क्या? और यह बात छोटे स्तर से (जैसा कि लघुकथा में वर्णित है) से बड़े स्तर तक विद्यमान है। अपना कुछ बनता-बिगड़ता हो तो लोग मामले से जुड़ते हैं, नहीं तो जिस पर गुज़रे, वो जाने। दुर्भाग्यपूर्ण है यह यथार्थ।
ReplyDeleteसृजन के मर्म को सार्थक करती आपकी हृदयस्पर्शी समीक्षा के लिए आभारी हूँ जितेन्द्र जी ।
Deleteपरिवार समाज में व्याप्त ये उदासीनता अब देश व्यापी हो गई है , किसी को दूसरे की परवाह ही नहीं रही।
ReplyDeleteहर व्यक्ति बस अपने तक दर्द महसूस करने लगा है।
वासुदेव कुटुंब की भावना बस किताबों तक सीमित है।
कहीं कसक जगाती गहन लघुकथा।
बहुत सुंदर मीना जी।
सृजन के मर्म को सार्थक करती आपकी हृदयस्पर्शी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।
Deleteआपकी स्नेहिल उपस्थिति के लिए हृदय से आभारी हूँ कुसुम जी ।
"हमें क्यों टांग अड़ानी किसी के फटे में” यही विचार निगल रहा है मानवता।
ReplyDeleteसमाज के एक पहलू को दर्शाती सुंदर लघुकथा।
सादर
सृजन को सार्थकता प्रदान करती हृदयस्पर्शी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए असीम आभार अनीता जी ।
Deleteकटु सत्य बयान करती बेहतरीन लघुकथा सखी।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा, हार्दिक आभार सखी ।
Deleteकटु यथार्थ यही है, मनुष्य यथार्थ से दूर तटस्थता में रहना सहज पसंद करता है। --ब्रजेंद्रनाथ
ReplyDeleteसत्य कथन सर ! बहुत बहुत आभार आपकी मान भरी उपस्थिति हेतु ।
Deleteबढ़िया लघुकथा। दुनिया ऐसी ही है। इसके बहुत से कटु यथार्थ हैं। कितनी भी कोशिश कर लें हम इसे कभी पूरी तरह नहीं समझ सकते। सादर।
ReplyDeleteसृजन के मर्म को सार्थक करती आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार वीरेन्द्र जी।
Deleteभाइयों के बीच क्या बोलें पति-पत्नी के बीच क्या बोलें सोचकर लोग तटस्थ हो जाते हैं सामाजिक दण्ड जैसी कोई बात अब रह ही नहीं गयी फिर जिसके पास पैसा है वह कोर्ट कचहरी के माध्यम से लम्बे समय बाद ही सही न्याय पा लेऔर पैसा नहीं तो शषण का शिकार.... छोटी सी लघुकथा में समाज की कटु यथार्थ बखूबी स्पष्ट किया है आपने..बहुत बहुत बधाई आपको।
ReplyDeleteसृजन के मर्म को सार्थक करती आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार सुधा जी ।
Deleteबहुत सुन्दर लघुकथा
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा, हार्दिक आभार मनोज जी।
Deleteसार्थक कथा।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा, हार्दिक आभार विश्वमोहन जी ।
Deleteबढ़िया कथा
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपकी मान भरी उपस्थिति हेतु सरिता जी ।
Deleteवाह लाजबाव सृजन
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा, हार्दिक आभार भारती जी।
Deleteउम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे
ReplyDeleteहमारी नयी पोर्टल Pub Dials में आपका स्वागत हैं
आप इसमें अपनी प्रोफाइल बना के अपनी कविता , कहानी प्रकाशित कर सकते हैं, फ्रेंड बना सकते हैं, एक दूसरे की पोस्ट पे कमेंट भी कर सकते हैं,
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सूचना के लिए बहुत बहुत आभार🙏
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