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Tuesday, July 27, 2021

"खुशी"

             

अपना वजूद भी इस दुनिया का एक हिस्सा है उस पल को

महसूस करने की खुशी , आसमान को आंचल से बाँध

लेने का  हौंसला , आँखों में झिलमिल -झिलमिलाते  सपने

और आकंठ हर्ष आपूरित आवाज़ - “ मुझे नौकरी मिल गई है , कल join करना है वैसे कुछ दिनों में exam भी हैं…,

 पर मैं सब संभाल लूंगी।” कहते- कहते उसकी आवाज

शून्य में खो सी गई ।

 मुझे खामोश देख वो फिर चहकी - “ मुझे पता है 

आप अक्सर मुझे लेकर चिन्तित होती हो , मैंने सोचा सब

से पहले आप से खुशी बाँटू। “

           उसकी बात सुनते हुए  मैं सोच रही थी अधूरी पढ़ाई ,

गोद में बच्चा ,घर की जिम्मेदारी और ढेर सारे सामाजिक

दायित्व । ये भी नारी का एक रुप है कभी बेटी , कभी पत्नी

तो कभी जननी । हर रूप में अनथक परिश्रम करती है और

अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए अवसर की तलाश

में रहती है ।अवसर मिलते ही पल्लवित होती है अपनी  पूर्ण सम्पूर्णता के साथ।

                उसके  दमकते चेहरे और बुलन्द हौंसलों को

देखकर मुझे बेहद खुशी हुई और यकीन हो गया कि एक

दिन फिर वह निश्चित रूप सेे इस से भी बड़ी खुशी मुझसे

बाँट कर मुझे चौंका देगी ।

          

                                ***

36 comments:

  1. Replies
    1. आपकी सराहना भरी प्रतिक्रिया सृजन को सार्थकता देती है और मुझ में नवउत्साह का संचार करती है । हार्दिक आभार मैम 🙏

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  2. अपने बलबूते पर जो सफलता हासिल होती है उसका कोई सानी नहीं ! उससे मिले आत्मविश्वास का तो कहना ही क्या !

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    1. आपकी ऊर्जावान सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया ने सृजन का मान बढ़ाया । हृदय से असीम आभार सर!

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार(२८-०७-२०२१) को
    'उद्विग्नता'(चर्चा अंक- ४१३९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. चर्चा मंच पर सृजन को चर्चा में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी!

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    1. हार्दिक आभार नीतीश जी।

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  5. सारगर्भित सुन्दर सृजन।

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शान्तनु सर !

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  6. आत्म विश्वास से लबरेज़ सुन्दर लघु कथा!!

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुपमा जी!

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  7. वाह!बहुत प्रेरक लघुकथा मीना जी ।

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शुभा जी!

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  8. बहुत सुन्दर !
    मीना जी, इन स्वयं-सिद्धाओं ने ही परिवारों को, समाज को और देश को बिखरने से टूटने से, अब तक बचाए रखा है.

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर 🙏

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  9. सुन्दर लघु कथा

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

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  10. हृदयस्पर्शी लघुकथा...

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शरद जी!

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  11. उसके दमकते चेहरे और बुलन्द हौंसलों को

    देखकर मुझे बेहद खुशी हुई और यकीन हो गया कि एक

    दिन फिर वह निश्चित रूप सेे इस से भी बड़ी खुशी मुझसे

    बाँट कर मुझे चौंका देगी ।...जीवन में यही आत्मसंतुष्टि का भाव जी तो जीवन को सम्पूर्ण और सार्थक बनाता है, आख़िर एक स्त्री ही तो उस स्त्री की मनोदशा समझ सकती है जो घर बाहर दोहरी जिम्मेदारियों से जूझती हुई जीवन में आगे बढ़ रही है,सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय मीना जी।

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    1. आपके विचारों से सहमत हूँ जिज्ञासा जी! आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की । असीम आभार आपका ।

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  12. बहुत ही सुन्दर प्रेरक लघुकथा....
    अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए आज नारियां घर बाहर सब संभाल रही हैं और यही सही भी है आज की सहानुभूति कब दया बन जाती है ये तो नारियां झेल ही चुकी...अब कोई दया नही स्वयं सिद्धा बनना है ।
    लाजवाब।

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    1. आपका कथन सत्य है...,स्वयं की क्षमताओं पर यकीन कर आगे बढ़ना विपरीत परिस्थितियों में आना ही चाहिए । सराहनीय सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की । हार्दिक आभार सुधा जी!

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  13. नारी समर्थ है, सार्थक है सब कुछ कर सकती है ...
    प्रेम को नया मुकाम देती हुई लघु कहानी ...

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    1. गद्य सृजन के इस ब्लॉग पर आपकी प्रथम प्रतिक्रिया का हार्दिक स्वागत नासवा जी । सराहना भरी प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला ।हृदय से असीम आभार ।

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  14. हृदय स्पर्शी लघुकथा मीना जी ।
    एक नारी का आत्म गौरव उसके अथक परिश्रम और निज पर विश्वास की देन है ।
    एक नारी कितने किरदार जीती है ।
    बहुत बहुत सुंदर।

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    1. आपकी सराहना भरी प्रतिक्रिया सृजन को सार्थकता देती है और मुझ में नवउत्साह का संचार करती है । हृदय की गहराइयों से असीम आभार कुसुम जी 🙏🌹🙏

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  15. प्रेरक लघुकथा। हाँ यह सच है कि अवसर मिलते ही महिलाएँ अपनी योग्यता के साथ पूरा न्याय करते हुए दुनिया को दिखा देती हैं कि हर हाल में जीत सकती हैं।

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला । हृदयतल से असीम आभार वीरेन्द्र जी!

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  16. प्रेरक कहानी जिसमें मुझे अपना संघर्ष का दौर दिखता है।

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  17. सही कहा आपने मीना जी !अपनी पहचान और आत्मनिर्भरता के लिए लड़कियों को संघर्ष करना ही पड़ता है । ऐसे समय में आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच उनकी राहें आसान कर देती है । आपकी प्रतिक्रिया ने लेखनी का मान बढ़ाया.. हृदयतल से आभार ।

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  18. प्रेरक और सराहनीय कथानक प्रिय मीना जी | एक लडकी में मानो ईश्वर ने अदम्य शक्ति भर दी है | अपनी क्षमता से कहीं अधिक बोझ उठाने में माहिर नारी का प्रबन्धन में कोई सानी नहीं |

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  19. आपकी प्रतिक्रिया ने लेखनी का मान बढ़ाया.. हृदयतल से आभारी हूँ रेणु जी ।

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  20. सादर आभार आलोक सर ।

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