कई बार लगता है कि हम एक - दूसरे के मन मस्तिष्क को
इतना पहचानते हैं कि कौन सी सोच का प्रभाव किस बिन्दु
पर दिखेगा अक्षरशः महसूस कर लेते हैं तो कभी कभी
लगता है एक अभेद्य दीवार के पीछे बंद हैं । साथ में रह कर
भी कोसों दूर...एक-दूसरे के लिए एकदम अनजान ।
मेरे मन ने स्नेह तो बहुत किया है तुमसे बस.., परिभाषित
करना नहीं आया । समय पर प्रतिक्रिया के मामले में मैं सदा
से ही कंजूस रही हूँ ।
जीवन के व्यस्त पलों में कितनी ही बार
कभी आँखों की चमक ने तो कभी अश्रु बिन्दुओं
ने नेह के नये उपमान गढ़े मगर पलट कर देखने के लिए
न तुम्हारे पास समय था और न ही शिकायत करने के
लिए मेरे पास ।
अनमोल होते हैं वे पल जिनमें तुम्हारे भावों की वीथियों में
अपने आपको तुम्हारे करीब महसूस किया । रोबोट सी
यान्त्रिक बनी हमारी जि़दगी में भावनाओं का मोल कम है
या फिर उनके लिए वक्त की कमी लेकिन बहुत बार
यह कमी खलती भी है ।
यह ख़त तुम्हें बस यही अहसास दिलाने के लिए लिखा है कि
"मेरे मन-आंगन से नेह की निर्झरिणी के लुप्त होने से पूर्व मेरे मन की जड़ता भंग करने मेरे पास जरूर चले आना ।"
लैपटॉप की स्क्रीन पर माँ की मेल पढ़ते पढ़ते अनुराग का मन
गीला हो गया और उसे याद आया कि पिछले कितने ही
दिनों से अपने काम में उलझे रहने के कारण उसने माँ से
ढंग से बात भी नहीं की है हमेशा माँ के पास वक्त की कमी का
उलाहना देने वाला अनुराग सब कुछ
भूल घर के किसी कोने में काम में उलझी माँ को
ढूंढ़ने भागा ।
***
बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शिवम् जी।
Deleteमेरे मन-आंगन से नेह की निर्झरिणी के लुप्त होने से पूर्व मेरे मन की जड़ता भंग करने मेरे पास जरूर चले आना ।"
ReplyDeleteमन के आँगन को नेह की बूँदों से सिंचित करना परम आवश्यक है वरना मन का आँगन भी वीरान हो जाता है...।
बहुत सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन।
सुन्दर सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी।
Deleteलाजबाब सृजन बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार बलबीर सिंह जी ।
Deleteलाजवाब दी सराहना से परे हर शब्द मन को छूता।
ReplyDeleteसादर
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनुजा ।
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 12 अक्टूबर 2020) को 'नफ़रतों की दीवार गहरी हुई' (चर्चा अंक 3852 ) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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#रवीन्द्र_सिंह_यादव
चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका सादर आभार ।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार सर।
Deleteबहुत सुन्दर ! वाह
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार सर।
Deleteहृदयस्पर्शी ... अनमोल ... अति सुन्दर ।
ReplyDeleteआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ..हृदयतल से आभार अमृता जी ।
Deleteबहुत भावपूर्ण.
ReplyDeleteअनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ जेन्नी शबनम जी..
Deleteहृदयतल से आभार ।
वाह!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार सधु चन्द्र जी ।
Deleteमर्मस्पर्शी सृजन ! अभिनन्दन मीना जी ।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार जितेन्द्र जी!नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
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