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Saturday, October 10, 2020

"एक पाती "

कई बार लगता है कि हम एक - दूसरे के मन मस्तिष्क को

इतना पहचानते हैं कि कौन सी सोच का प्रभाव किस बिन्दु

पर दिखेगा अक्षरशः महसूस कर लेते हैं तो कभी कभी

लगता है एक अभेद्य  दीवार के पीछे बंद हैं । साथ में रह कर

 भी कोसों दूर...एक-दूसरे के लिए एकदम अनजान ।      

 मेरे मन ने स्नेह तो बहुत किया है तुमसे बस.., परिभाषित

करना नहीं आया । समय पर प्रतिक्रिया के मामले में मैं सदा

से ही कंजूस रही हूँ ।

    जीवन के व्यस्त पलों में कितनी ही बार

 कभी आँखों की चमक ने तो कभी अश्रु बिन्दुओं

 ने नेह के नये उपमान गढ़े मगर पलट कर देखने के लिए

न तुम्हारे पास समय था और न ही शिकायत करने के

लिए मेरे पास ।

  अनमोल होते हैं वे पल जिनमें  तुम्हारे भावों की वीथियों में

अपने आपको तुम्हारे करीब महसूस किया ।  रोबोट सी

यान्त्रिक बनी हमारी जि़दगी में भावनाओं का मोल कम है

या फिर उनके लिए वक्त की कमी लेकिन बहुत बार

यह कमी खलती भी है ।

यह ख़त तुम्हें बस यही अहसास दिलाने के लिए लिखा है कि

     "मेरे मन-आंगन से नेह की निर्झरिणी के लुप्त होने से पूर्व मेरे मन की जड़ता भंग करने मेरे पास जरूर चले आना ।"

लैपटॉप की स्क्रीन पर माँ की मेल पढ़ते पढ़ते अनुराग का मन

गीला हो गया और उसे याद आया कि पिछले कितने ही

दिनों से अपने काम में उलझे रहने के कारण उसने माँ से

ढंग से बात भी नहीं की है हमेशा माँ के पास वक्त की कमी का

उलाहना देने वाला अनुराग सब कुछ

 भूल घर के किसी कोने में काम में उलझी माँ को

ढूंढ़ने भागा ।

 

***                  

22 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत आभार शिवम् जी।

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  2. मेरे मन-आंगन से नेह की निर्झरिणी के लुप्त होने से पूर्व मेरे मन की जड़ता भंग करने मेरे पास जरूर चले आना ।"
    मन के आँगन को नेह की बूँदों से सिंचित करना परम आवश्यक है वरना मन का आँगन भी वीरान हो जाता है...।
    बहुत सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन।

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    1. सुन्दर सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी।

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार बलबीर सिंह जी ।

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  4. लाजवाब दी सराहना से परे हर शब्द मन को छूता।
    सादर

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनुजा ।

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 12 अक्टूबर 2020) को 'नफ़रतों की दीवार गहरी हुई' (चर्चा अंक 3852 ) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका सादर आभार ।

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  6. Replies
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार सर।

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  7. Replies
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार सर।

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  8. हृदयस्पर्शी ... अनमोल ... अति सुन्दर ।

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    Replies
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ..हृदयतल से आभार अमृता जी ।

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  9. Replies
    1. अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ जेन्नी शबनम जी..
      हृदयतल से आभार ।

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  10. Replies
    1. हार्दिक आभार सधु चन्द्र जी ।

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  11. मर्मस्पर्शी सृजन ! अभिनन्दन मीना जी ।

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  12. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार जितेन्द्र जी!नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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