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Saturday, August 1, 2020

"कोरोना"

हमेशा हँसने और गोरैया सी फुदकती रहने वाली वैभवी खामोश सी हो गई  है कुछ दिनों से । दिन भर गिलहरी की तरह चटर-पटर कुछ -कुछ कुतरने वाली लड़की ने आज कल मुँह सिल लिया लगता है अपना । बहुत बोलने और 'किडिश' हरकतें करने वाली वैभवी अपनी चुलबुली आवाज से अपना घर ही नहीं मेरे घर की बालकनी भी गुलजार रखती 
थी । आज कई दिनों के बाद दिखी खड़ी । जब मैंने उसे आवाज़ दी तो उसने पलट कर देखा ..,चेहरा भाव विहीन सा लगा मुझे जैसे नाराज हो । फूडी लड़की आज कल चूजी
बन गई लगती है इसका असर उसकी सेहत पर दिख रहा है ।
-- 'अरे क्या हुआ तुम्हें..आज कल घर बैठ कर लोग वजन बढ़ा रहे हैं और तुम कम कर रही हो ?'
-- 'वो बस ऐसे ही..।' फीकी सी मुस्कुराहट के साथ वैभवी ने जवाब दिया ।
--'क्या हुआ वैभवी ?'
उसने जैसे मेरी आवाज सुनी ही ना हो..अपनी बालकनी से सामने सूनी रोड को देखते हुए सवाल किया --'कोरोना कब खत्म होगा ?' और बिना उत्तर सुने फिर से सड़क पर नजर टिका दी ।
 उत्तर तो मेरे पास भी कहाँ था उसके सवाल का ? उसको सूनी रोड को घूरता देख मैं भी उसके इस कार्यक्रम में शामिल हो गई और रेलिंग पकड़े हुए सोच रही थी कि कोरोना का असर यदि इसी तरह रहा तो आने वाले समय में इसकी भरपाई होनी बहुत मुश्किल लगती है ।

🍁🍁🍁

8 comments:

  1. बच्चे पिंजरे की चिरैया हो गये हैं।

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    1. लेखनी सफल हुई आपकी मर्मस्पर्शी प्रतिक्रिया से ..बहुत बहुत आभार सर .

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  2. बहुत ही सुंदर मर्मस्पर्शी लघुकथा आदरणीय मीना दी।
    मासूम मन वैभवी का विचलित है फैली इस आपदा से...घुटन डर का साया पता नहीं कब ख़तम होगा।
    अंतस को छूती वैभवी के मन की पीड़ा।
    मेरा स्नेह उसे ...
    सादर

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    1. अपनत्व भरी स्नेहिल समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से लेखन सफल हुआ ..हार्दिक आभार अनुजा !

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  3. हृदयस्पर्शी लघुकथा... साधुवाद

    कृपया मेरे ब्लॉग साहित्य वर्षा पर भी पधारें 🙏
    लिंक दे रही हूं -
    https://sahityavarsha.blogspot.com/2020/08/blog-post_12.html?m=1

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  4. हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत आभार वर्षा जी । मैं आपके ब्लॉग पर अवश्य आऊँगी । आपके निमन्त्रण के लिए हार्दिक आभार 🙏🙏

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  5. शानदार रचना । मेरे ब्लॉग पर आप का स्वागत है ।

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    1. हार्दिक आभार मनोज जी .मैं आपके ब्लॉग पर अवश्य आऊँगी । आपके निमन्त्रण के लिए हार्दिक आभार 🙏🙏

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