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Sunday, June 9, 2024

“सपने और उम्मीद”

सपने”


सपने देखना बुरी बात नही.., गहरी नींद के सपने जागती आँखों के सपने । कई  बार सपने की अनुभूति ताजे गुड़ 
की मिठास सी होती है  । 
            कई बार टूटे काँच की कीर्चियों सी बिखर जाती हैं अन्तर्मन के आस-पास और टीस पैदा करती हैं जिनका अहसास पूरा दिन और कई बार तो कई दिनों तक बना रहता है । अन्तर्मन पर चादर के समान लिपटी सपनों की अनुभूतियाँ धीरे-धीरे ही धूमिल हो पाती हैं  । सोचती हूँ  यह भी ठीक है - कल्पना से यथार्थ में आने में वक़्त तो लगता ही है ।

                                   ***
“उम्मीद”


मौसम विभाग के अनुसार मानसून अच्छा है अब की 
बार। पानी की आवक बढ़ने से नदियों और तालाबों में  कछुओं , बड़ी मछलियों के साथ छोटी मछलियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है ।मानसून अच्छा है तो वर्षा भी अच्छी होगी वर्षा अच्छी होने से  भूमि की उर्वरा शक्ति में भी अभिवृद्धि होगी ।वैसे दुनिया में उम्मीद पर सब कुछ 
क़ायम है और उम्मीद यही है कि इस बार शक्ति -सन्तुलन 
बना रहेगा ।


                                          ***

8 comments:

  1. सपने और उम्मीद को कितनी सुगढ़ता से परिभाषित किया है आपने दी। जीवन में प्राणवायु का संचरण करने वाले दो महत्वपूर्ण तथ्य हैं सपने और उम्मीद।
    सस्नेह प्रणाम दी।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ११ जून २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. सृजन को सार्थक करती ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार श्वेता जी ! पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए भी बहुत बहुत आभार । सस्नेह वन्दे !

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  2. Replies
    1. बहुत बहुत आभार सर 🙏

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार विकास जी !

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  4. सपने कैसे भी हों, लेकिन उम्मीद की किरण नहीं छोड़नी चाहिए
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  5. सृजन को सार्थक करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार कविता जी !

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