अक्सर वे व्यस्तता की दहलीज़ पार कर वक़्त को छलावा देकर फोन पर अपने -अपने दुख- सुख साझा करती हैं और ऐसा करते-करते भूल जाया करती हैं वक़्त को । उस वक़्त.., वक्त ही कहाँ होता है उनके पास कि वे वक्त को याद करें । कभी-कभी तो अवसर मिलता है उन्हें अपने आपको रिक्तता की सरहद पर खड़े हो कर खुद को पहचानने के लिए ।
कितनी ही स्मृतियों की गठरियाँ .., स्मृतियों की अटारियों में से धूल और जालों के बीच से निकाल कर वे उन्हें खोलती हैं और कड़वे-मीठे पलों को आज और कल के साथ जीते हुए कभी बेलौस हँसती हैं तो कभी स्वर अवरुद्ध भी कर बैठती हैं । अपनेपन की संजीवनी को आँचल में समेट कर दुबारा मिलने का वादा करके लौट जाती हैं अपनी -अपनी सीमाओं में,जहाँ उनका अपना-अपना संसार हैं ।कमाल की बात यह है कि सब कुछ भरा-भरा होने के बावजूद भी रिक्तता का खाली कोना कहीं शेष रह जाता है ।जो वे गाहे-बगाहे इस फ़ुर्सत नाम की दहलीज़ पर आकर भरती हैं ।
***
सही कहा मीनाजी ! पर कभी किस्मत से ही मिलता है ऐसा कोई , जो वक्त ही बिसरा दे...धूमिल स्मृतियों की पोटली खोल दुख सुख के उन पलों को बिना लाग लपेट सुन बोल सके जिसके सामने...।
ReplyDeleteआपकी हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया मन को छू गई सुधा जी ! कमी ज़रूर है इस जहान में ऐसे लोगों की मगर होते ज़रूर हैं । आपकी उपस्थिति सुखद है । हृदयतल से आभार आपका । सादर सस्नेह नमन ..।
Deleteसुधा जी ने सही कहा सखी,सचमुच ऐसे लोगो का आकाल है मगर,कभी-कभी बहनों से भी बात करते-करते हम कैसे बचपन की स्मृतियों में खो जाते हैं फिर वहां से लौटने का मन ही नहीं करता ठहर जाता है उसी आँगन में मन....आज ही मेरे साथ ऐसा हुआ है। कम शब्दों में दिल को छू लेने का हुनर आप में खूब है।सादर नमन आपको
ReplyDeleteअपनेपन की स्मृतियाँ जिजीविषा हैं और अपनों का साथ संजीवनी समान जो जीने की ऊर्जा बढ़ाते हैं इन्हीं भावों को उजागर करते आपके विचारों से सृजन को मान मिला सखी ! सुधा जी और आपके विचारों ने लेखन को मान दिया ।हृदय स्पर्श करती प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार सखी ! सादर स्नेह नमन ।
Deleteसचमुच , व्यस्तताओं के इस दौर में मन की सारी छोटी-बड़ी बात सुनने और समझने वाले दोस्तों की स्मृतियाँ हृदय को खालीपन से भर देती है।
ReplyDeleteमन छूती अभिव्यक्ति दी।
सस्नेह प्रणाम दी।
सादर।
------
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १९ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सृजन को सार्थक करते आपके अनमोल विचारों से सृजन को प्रवाह मिला ।हृदयतल से आभार आपका श्वेता जी । पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने हेतु हृदयतल से आभार ।सादर सस्नेह ..!!
ReplyDeleteउत्तम
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद हरीश जी 🙏
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद सर🙏
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार सहित धन्यवाद मधुलिका जी 🙏
Deleteआपकी अभिव्यक्ति में अंतर्निहित भावनाओं को मैं समझ सकता हूँ मीना जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार सहित धन्यवाद जितेंद्र जी 🙏
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार सहित सादर नमस्कार आ. आलोक सिन्हा जी !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्त रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद सवाई सिंह राजपुरोहित जी !
Delete