"सभी अपना-अपना काम करें..इधर-उधर तांका-झांकी नहीं” परीक्षा-कक्ष में पहुँचते ही प्राध्यापक विनय ने आवश्यक कार्यो की पूर्ति करते हुए परीक्षार्थियों को निर्देश दिया । घंटे भर बाद किसी परीक्षार्थी ने पूरक उत्तर-पुस्तिका की मांग की । विनय की पीठ जैसे ही परीक्षार्थियों की तरफ हुई ,कानाफूसी के स्वर खामोशी को भंग करने लगे ।
विनय ने गंभीरता से सबको अपना अपना काम करने का आदेश दे कर फिर से बैठक व्यवस्था के मध्य कक्ष में घूमना शुरू कर दिया । चौकसी अपने चरम पर थी । वह देख रहा था कि जैसे-जैसे समय आगे खिसक रहा है वैसे वैसे पूरक उत्तरपुस्तिकाओं की मांग और फुसफुसाहटें बढ़ रही हैं । अनुशासन और नकल रोकने के लिए अब दंड की घोषणा अनिवार्य हो गई थी ।
"अब की बार किसी को सिर घुमाते या बात करते देखा तो उत्तर-पुस्तिका छीन कर कक्षा -कक्ष से बाहर कर दूंगा ।"-- विनय ने सख़्ती से कहा । ‘सर ! 'पगडंडियों का जमाना है ।'- किसी परीक्षार्थी ने तपाक से उत्तर दिया और उसी के साथ दबी-दबी हँसी परीक्षा कक्ष के हर कोने में फैलने की कोशिश करने लगी । "पगडंडियों पर भागने वाले अक्सर मुँह के बल भी गिर जाया
करते हैं।"- शांत भाव से विनय ने नसीहत दी।
शेष समयावधि में हँसी और कानाफूसी सिमट कर कक्ष की दीवारों में समा गई और पंखे की खड़-खड़ विनय के जूतों की आवाज के साथ सुर-ताल बिठाने के प्रयास में लगी रही ।
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आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 03 मार्च 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete"सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" सृजन को साझा करने के लिए सादर आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteवाह... दिलचस्प लघुकथा
ReplyDeleteबधाई प्रिय मीना जी 🙏
उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से असीम आभार प्रिय वर्षा जी 🙏
Deleteसारगर्भित एवम रोचक कहानी..उत्कृष्ट रचना..
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से असीम आभार जिज्ञासा जी!
Deleteवाह! दिलचस्प,सारगर्भित,सुन्दर रचना मीना जी।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से असीम आभार सधु चन्द्र जी।
Deleteप्रेरक लघु कथा । विचारणीय ।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करती आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से असीम आभार 🙏
Deleteवाह!गज़ब दी।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और सराहनीय।
पगडंडियों पर भागने वाले अक्सर मुँह के बल भी गिरा
करते हैं।"- शांत भाव से विनय ने नसीहत दी।..प्रेरक लघुकथा।
सादर
आपकी अनमोल ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार अनीता जी।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04.03.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
चर्चा मंच पर सृजन साझा करने हेतु सादर आभार आदरणीय
Deleteदिलबाग सिंह जी ।
वाह।
ReplyDeleteहार्दिक आभार शिवम् जी ।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2057..."क्या रेड़ मारी है आपने शेर की।" ) पर गुरुवार 04 मार्च 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete"पांच लिंकों का आनन्द" में सृजन साझा करने हेतु सादर आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी ।
Delete"पगडंडियों पर भागने वाले अक्सर मुँह के बल भी गिरा करते हैं।"
ReplyDeleteगिर ही तो रहें है और कितना गिरेंगे पता नहीं,सुंदर संदेश देती लघु कथा,सादर नमन मीना जी
चिंतनपरक हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी । सादर नमन ।
Deleteवाह!मीना जी ,सुंदर संदेशात्मक सृजन ।
Deleteआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ हार्दिक आभार शुभा जी !
Deleteसारगर्भित व शिक्षाप्रद रचना - - नमन सह।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार शांतनु सर ! सादर नमन ।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार सर!
Deleteवाह!मीना जी एक पंक्ति में पुरा सागर कह दिया आपने,आज ये पगडंडियों पर चलकर सब कुछ हासिल करने की दौड़ कितना और कितनों को गिरा ही तो रही है।
ReplyDeleteबहुत गहन चिंतन देती सुंदर लघुकथा।
सस्नेह।
आपकी हृदयस्पर्शी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हृदयतल से हार्दिक आभार । सस्नेह ।
Deleteबहुत सुंदर,प्रेरक लघुकथा सखी 👌
ReplyDeleteआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला हृदयतल से आभार सखी 🙏🌹
Deleteबोध देती सुंदर लघु कथा
ReplyDeleteआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला हृदयतल से हार्दिक आभार 🙏
Deleteसुंदर सन्देश देती लघुकथा।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला हृदयतल से हार्दिक आभार ज्योति जी ।
Deleteबहुत अच्छी लघुकथा है यह आपकी मीना जी । मुझे बड़ी पसंद आई ।
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार जितेन्द्र जी!
Deleteदीर्घ अर्थ वाली लघुकथा
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार सर!
Deleteबहुत अच्छी लघुकथा
ReplyDeleteबधाई
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार सर!
Deleteबहुत सुन्दर लघुकथा
ReplyDeleteहृदयतल से आभार मनोज जी ।
Deleteअच्छी रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार कुमार गौरव अजीतेन्दु जी ।
Deleteबढ़िया लघु कथा है। आपको अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की
Deleteवीरेंद्र जी । हार्दिक आभार प्रतिक्रिया एवं शुभकामनाओं हेतु🙏
बहुत सुन्दर सारगर्भित लघुकथा।
ReplyDeleteपगडंडियों पर भागने वाले अक्सर मुँह के बल भी गिरा करते हैं।
सुन्दर संदेशपरक....
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की
Deleteहृदयतल से हार्दिक आभार सुधा जी ।
सुन्दर लघुकथा, संदेशप्रद
ReplyDeleteहार्दिक आभार विमल कुमार शुक्ल जी ।
Deleteसुंदर और प्रेरक लघु कथा, मीना जी नमस्कार
ReplyDeleteनमस्कार ज्योति जी 🙏
Deleteआपकी स्नेहिल उपस्थिति से सृजन को सार्थकता मिली ।
परीक्षा भवन की यादें ताजा हो गई.. बहुत खूब
ReplyDeleteहार्दिक आभार हरीश जी ।
Deleteबहुत मनोरंजक दिशा बोध करती सुन्दर रचना
ReplyDeleteसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार सर!
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